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Sriram Chandra |
छन्द जात रेणकी
डणणणणण दीस दिगज सह
डणकत ,भणण खणण ब्रह्मांड भयो !
गणणणणण गहर गुहागििर
गणकत , ठणण ठणण टंकार थयो !
कणणण लंक नृपाळ कणंकत
,गणण गणण शीर मुगट ग्रीयो
!
धणणण शेष कोल कच्छ
धणकत , धनुष हाथ रघुनाथ धर्यो !!1!!
कड़ड़ड़ड़ड़ व्योम
गोम पड़ कड़कत,अड़ड़ अड़ड़ समुदर
उछळं !
थड़ड़ड़ धाम छोड़
खळ थड़कत, धड़ड़ धड़ड़ धर नमत ढळं !
गड़ड़ड़ड़ चंद्र लोक
लग गड़गड़, फड़ड़ फड़ड़ हय भांण फर्यो
!
धणणण शेष कोल कच्छ
धणकत , धनुष हाथ रघुनाथ धर्यो !!2!!
कटकटकट सपट झपट फटफट
कट , खटखट झटपट उलट ज़ट्यो !
भटभटभट भटक भटक भय
भट , भट फटक फटक मनु व्योम फट्यो
!
घटघट घट अमट अर्यां
गभरावट हटहटहट खलदल हहर्यो !
धणणण शेष कोल कच्छ
धणकत ,धनुष हाथ रघुनाथ धर्यो !!3!!
ज़कज़कज़क नमक रमक
ज़णकारव,दमक चमक हर ध्यान खूलै !
छकछकमद अछक अछक्के
तक तक , भटक भटक भट खटक खूलै !
हकबक हिय सठक गठक
टक नाटक , फटक फटक थकथक फफर्यो !
धणणण शेष कोल कच्छ
धणकत ,धनुष हाथ रघुनाथ धर्यो !!4!!
खळभळ अळ प्रबळ प्रबळ
तळ पातळ , खळखळ कळ बळ अकळ खसे !
डळडळडळ डळत ढळत भुदरसर
,तळतळ थळथळ सभड़ त्रसे !
ज़ळ ज़ळ ज़ळ ज़ळक
ज़ळक कर ज़ळकत, खळक खळक सुर कुसुम
खर्यो !
धणणण शेष कोल कच्छ
धणकत ,धनुष हाथ रघुनाथ धर्यो !!5!!
सगवगनग अडग अडग चगचगचग
,जगजगजग रणंकार जग्यो !
टगटगटग टगर टगर मगर
खगखगखग ,छगछग रग पग अछग छग्यो !
फगफगफग विलग विलग
मग डगडग ,नगनग भग सुरराज नर्यो !
धणणण शेष कोल कच्छ
धणकत , धनुष हाथ रघुनाथ धर्यो !!6!!
खरररर अपर अमरं वरधर
पर ,पर धरधर पर अमर पर्यो !
ज़ररर सरर सरर ज़ट
ज़ांज़र ,सुरपर परहर सकर सर्यो !
कर कर कर जयति जयति
कौशीककर ,धर धर हर धनु सधर धर्यो !
धणणण शेष कोल कच्छ
धणकत, धनुष हाथ रघुनाथ धर्यो !!7!!
सत सत कृत अमत श्रवत
दशरत सत ,रजत रडत सुक प्रमुद रह्यो
!
ध्रत ध्रत ततकाल हारगल
सीतरत , गत मत रत गुरू चरन ग्रह्यो
!
क्रत क्रत अत कांन
दांन नीज क्रत दत , भजत भजत भव पार कर्यो
!
धणणण शेष कोल कच्छ
धणकत , धनुष हाथ रघुनाथ धर्यो !!8!!
~~~~~~~~~~~~~~कळस छप्पैया ~~~~~~~~~~~~~~
धर्यो धनुष रणधीर
, वीस्मय घणा विदार्या !
धर्यो धनुष रणधीर
, ताप मुनि गणरा टाळ्या !
धर्यो धनुष रणधीर
, लंक रोळण खग लीधो !
धर्यो धनुष रणधीर
, काज अमारो वड कीधो !
धर्यो धनुष ब्रह्मांड
धर ,धरण भार भूवरो हसी !
चित्त वृथा कान सुरभीय
चहे , चण सारुं लेवा असी !!1!!
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