शिव वंदना छंद त्रिभंगी

                     ।। शिव वंदना।।

                           दोहा

         जय शंकर गणनाथ नाथ त्रिभुवन स्वामी,
          रहत सहाय हमेस हरत अघ खलकामी।।
                      

  छंद त्रिभंगी


रहत कैलासा,अद्भुत वासा,एकांत निवासा अणप्यारा,
होवत हुल्लासा,तुरत प्रकासा,हटत निरासा हर बारा
पुरण जिज्ञासा, मन की आसा,ताण्डव नृत्यम् सुकरणम्
जय महाकालम् आप कृपालम् दीनदयालम् तव शरणम्।।1।।

डमरु डम डमडम,घुघर घमघम,झालर झमझम तुरत बजे
शंकर सुसजनम्,मृगमद बजनम्,भावत भजनम् नान्दी सजे,
पद पंकज रजनम्,ध्यावत सज्जनम्, पावन पूजन श्री चरणम्
जय महाकालम् आप कृपालम् दीनदयालम् तव  शरणम्।। 2।।

जोगी अणपारा,ध्यानी धारा,पार न पारम् आवाजा
तरणी हर तारा,हर दुख हारा,फरसा धारम् नटराजा
चारण गण सारा,दास तिहारा,होत निहाला भयहरणम्
जय महाकालम् आप कृपालम् दीनदयालम् तव शरणम्।। 3।।

मुण्डन गलमालम्,भुज विशालम्,आँक की मालम् गल सजनम्
अद्भुत छालम्,मृग की खालम्,भस्म निराली तन रंजनम्
सुन्दर पद तालं,रहत त्रिकालम्,गंग पियारी सर धरणम्
जय महाकालम् आप कृपालम् दीनदयालम् तव शरणम्।। 4।।

उम्मया नित संगा,शीश पे गंगा, गले भुजंगा किरपाळा
होवत उमंगा,बजत मृदंगा,भुत भभंगा विकराळा
रहवत निज रंगा,खावत भंगा,भक्तजनन तव सुखकरणम्
जय महाकालम् आप कृपालम् दीनदयालम् तव शरणम्।। 5।।

विपत विडारी,सब सुखकारी,होवत भारी,त्रिपुरारी
गिरजा अतिप्यारी,पुजत नरनारी,जाँउ वारी बलिहारी
विश्व विहारी,दृढ़ ब्रम्हचारी,रहुँ कैलासी नितचरणम्
जय महाकालम् आप कृपालम् दीनदयालम् तव शरणम्।। 6।।

चन्दन सुभालम्,सिर केश निरालम्,दानवदालम् अघहारा
तरणी हर तारम्,काल कृपालम्, नैन विशालम् भयहारा
कर शुल धारम्,विरद विशालम्,दास निहालम् भवतरणम्
जय महाकालम् आप कृपालम् दीनदयालम् तव शरणम्।। 7।।

जोगण पथ ध्यानी,गावे ग्यानी,भेंट सुहानी बिलपतरम्
अद्भुत दानी,चिमटी वानी,कुबेर कहानी सम्पुरम्
बेहद नादानी, आतुर बानी, "आशुतोष " तव गुण वरणम्
जय महाकालम् आप कृपालम् दीनदयालम् तव शरणम्।। 8।।


                         ।।  छप्पय।।

  नमामि भोलेनाथ, देव महादेव निराळा
  नमामि भोलेनाथ, करत संतन प्रतिपाळा
  नमामि भोलेनाथ, अद्भुत कर रुप निहारी
  नमामि भोलेनाथ, वारी वारी जाँउ बलिहारी
दोय कर जोड़ "आसु" कहे सुणो विनय मम् तात
नन्दी बेगो हांकजो तुरत सुणत आवाज।।
                                     कृत


                             आशुतोष चारण

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें