छंद त्रिभंगी/ कवि प्रभुदान देवल

कवि प्रभुदान देवल प्रेमै री बेरी कृत पीर पिथोरै(परमार)जी रौ छंद
          दोहा
ऊँचो सिखर आबू ज्यां,सोढां कुल सिर ताज।
सती दातार सूरमा,अखी धरा जस आज।।1।।
भूआ सचिया भगवती,ऊमा तणो अवतार।
वळै हूओ इण वंश मां,पीथल सिध परमार।।2।।
जिके मूलताण जावता,क़िबले दरसण काज।
ओ चेला कर आपरा,मेघ वंश महाराज।।3।।
सिंधड़ी राखे सरणे ,सनातन धरम संभार।
प्रथमी सिव परघटयो,आय प्रिथू अवतार।।4।।
      छंद त्रिभंगी
जोगी जटा धारी,कला अपारी,तूं त्रिपुरारी,देह धारी।
आयो अवतारी,सिंध संमारी,परजा सारी,रखवारी।।
पूजे पूजारी,प्रथमी सारी,जोड़ मुरारी,जिम सरणी।
पीथल परमारा,सिव अवतारा,धाट धरा रा ,आप धणी।।
  जीय धाट धरा रा,सांम धणी।।1।।
सामी रिख सातां,अकड़ी आतां,अलख जगातां,गुण गातां।
दरसण मा पातां,मिल परभातां,अरज करातां,फल पातां।
परसाद दिरातां,मांडण पातां,सुत दो आतां,सिरांमणी।
पीथल परमारा,सिव अवतारा,धाट धरा रा,आप धणी ।
   जीय धाट धरा रा,सांम धणी।।2।
नव मास बीताया,थाल वजाया,उछरंग थाया,सुत जाया।
परमात दिरवाया,पीथल आया,संख् घुराया,धुरराया।।
केंकू पग थाया,पींघे पाया,भड़ दो भायां जोड़ वणी।
पीथल परमारा,सिव अवतारा,धाट धरा रा ,आप धणी।
    जीय धाट धरा रा,सांम धणी।।3।।
वन वास सिधाऐ,गुफा ख़ुदाए,आसण ठाए,थिर थाए।
सम ध्यान लगाए,प्राण चढ़ाए,सिधी दिखाए,पूजाए।
मुलताण ज जाए,कळा बताए,हिंसो रखाए,हिंदवाणी।
पीथल परमारा,सिव अवतारा,धाट धरा रा,आप धणी।।
    जीय धाट धरा रा,सांम धणी।।4।।
मुलताण ज जावै,पंथ करावै,मींया कहावै,इललावै।
सथ आप सिधावै,सिधी दिखावै,पीर कहावै,पूजावै।।
अंकासां लावै,दूध ज पावै,ताजब खावै,तुरकांणी।
पीथल परमारा,सिव अवतारा,धाट धरा रा,आप धणी।।
    जीय धाट धरा रा,सांम धणी।।5।।
अप आप उपाया,परघट थाया,दुख कटाया,कर सिहाया।
आसीस दिराया,पीढ़ी पाया,जोगी आया,सिध थाया।
माया मां माया,आप समाया,फिर नहीं आया,गरभ जणणी।
पीथल परमारा,सिव अवतारा,धाट धरा रा ,आप धणी।।
    जीय धाट धरा रा,सांम धणी।।6।।
माणक मण धारी,कला अपारी,हंसली प्यारी,सणागारी।
अंकास उडारी,धाम पुगारी,देह सुधारी,सत धारी।।
सोरभ जग सारी,खंघार थारी,परचा भारी,है धरणी।
पीथल परमारा,सिव अवतारा,धाट धरा रा,आप धणी।।
    जीय धाट धरा रा,सांम धणी।।7।।
जोगी सिध जाया,महेस आया,जोग कमाया,सिधाया।
दुजू दरसाया,चंदू आया,अपरम माया,पूजाया।
रावत कुल जाया,उजास थाया,समरथ आया सिरोमणी।
पीथल परमारा,सिव अवतारा,धाट धरा रा,आप धणी।
  जीय धाट धरा रा,सांम धणी।।8।
जातरी घण आवै,धूप करावै,सीस नमावै,पूजावै।
मड़धंग वजावै,थाल पंखावै,गुण जस गावै,सुख पावै।
पंगला पग थावै,पूत ज पावै,धन दिरावै,आप धणी।
पीथल परमारा ,सिव अवतारा,धाट धरा रा,आप धणी।।
   जीय धाट धरा रा,सांम धणी।।9।।
पूजे पूजारा,सोढल सारा,ब्रम वणझारा ,सोनारा।
सूजी सूथारा,खत्री लोहरा,भील मेघारा,सपियारा।
माली कूँभारा,जाट रबारा,ओड सचारा,भाव घणी।
पीथल परमारा,सिव अवतारा,धाट धरा रा ,आप धणी।।
  जीय धाट धरा रा,सांम धणी।।10।।
पीथल नित ध्यावै ,चरणां आवै,गुण जस गावै,फल पावै।
सुख संपत आवै,दालद जावै,मान बधावै,पद पावै।
मरत्यू जब थावै,मुगती पावै,जाय पुगावै,ब्रम सरणी।
पीथल परमारा,सिव अवतारा,धाट धरा रा,आप धणी।।
  जीय धाट धरा रा,सांम धणी।।11।।
अकड़ी जो आसी ,सरदा प्यासी,मन जो चहासी ,मिल जासी।

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