छन्द मोतियदाम आवङजी महाराज रो
प्रथी पर आवङ मात प्रमान ,
सदा रखवाळण भारत शान ॥
उबारत आप सदा झट आन ,
महान महान महान महान ॥१॥
तणोट धरा पर शोभत तेह ,
महा सगती वरसावत मेह ॥
अरी झट शीश झुकावत ऐह,
नमेह नमेह नमेह नमेह ॥२॥
थरू जग आप तणोहिज थान ,
प्रख्यात हिंगोळहि मात प्रमान ॥
जपूं उमिया तव रूपहि जान ,
समान समान समान समान ॥३॥
नवेखंड आप तणोहिज नूर ,
दया कर दानव ही कर दूर ॥
भरो धन धान सबै भरपूर ,
जरूर जरूर जरूर जरूर ॥४॥
सुणै अरदास हि काज सुधार ,
लगावत देर न मात लगार ॥
हरो सब पीर हि मात हमार ,
उबार उबार उबार उबार ॥५॥
वडी वसुधा सर मात विशैष ,
दशोंदिश ख्यातहि जांणत देश ॥
नमे तुझ आगळ देव नरेश ,
हमेश हमेश हमेश हमेश ॥६॥
अहोनिश काज सुधारण आप ,
धिनोधिन आप तणी धणियाप ॥
रहे पत कायम तोर प्रताप ,
समाप समाप समाप समाप ॥७॥
मनोमन याद करे मिठु मीर ,
पुरो तुम आस हरो सब पीर ॥
तिरै मम नाव हुवै झट तीर ,
सधीर सधीर सधीर सधीर ॥८॥
मीठा मीर डभाल
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