कविराज चाळकदान जी रतनू कृत-"गीगल अम्ब नमो जगदम्बे"
-"दोहा"-
दोय रूप जगदम्ब का ;
जोय रखण मरजाद !
रूद्रॉणी सब सुर सिरै;
अरू ब्रम्ह्मॉणी आद !!१!
गीगाइ गढ़व्यॉ तणी सिंवरयॉ करो स्याय!
ऊपर करजो ईसरी
मॉ ईन्दोका सूँ आय!!२!!
जोगाई जगदम्ब रो
नाम लियॉ नवनिद्ध !
इन्दोका में अवतरी
पँचमी तिथी प्रसिद्ध!!३!!
सँवत सतरासौ सही ;
बरस छतीसै बीच !
आई गीगाइ अवतरी ;
नावद मारण नीच!!४!!
जौगाइ जगदम्ब वडा ;
बडी बीस भुजाळी !
जौगाई जगदम्ब जो ;
रैणवॉ वँश रुखाळी!!५!!
बछड़ा सिंघ कहत बणे
दे हाथळ दरसाय !
बाई गाय बचावणे ;
आई गीगल आय!!६!!
मिश्रितछँद
आप ब्रह्मॉणीये बाणीय ओपीये जाणीय तूँ जग में जगदम्बे !
रक्तबीज नूँ पीण रत्ताणीये रूप रूद्रॉणीये तद्द रचम्बे !!
आप ब्रह्मॉणीये ओ रूद्रॉणीये चार जुगॉणीये आदि चवम्बे !
एक ही रूप अनेक कळायळ गीगल अम्ब नमौ जगदम्बे !!१!!
!!टैर:-जिय गीगल अम्ब रूप जगदम्बे !
काळक रूप तुँही विकराळक दाळक आसुर ओ दरदम्बे !
चाळक रूप बणी चिरताळक दाणव गाळक दुष्ट दलम्बे !!
मारीये चामुण्ड चण्ड मुण्डाळक गाळक शुँभ निशुँभ ग्रवम्बे !
एक ही रूप अनेक कळायक गीगल अम्ब नमौ जगदम्बे !!२!!
!!टैर:-जिय गीगल अम्ब रूप जगदम्बे !
जौत सरूप तुँहि हिंगळाज ही राज रही तुम आज सुरम्बे !
गाज रही तुम गैण में ही गढ़ बाज रही महम्माय वडम्बे !!
हाजर ही जन जौड़त साथ ही साज रही तुम काज सरम्बे !!
एक ही रूप अनेक कळायळ गीगल अम्ब नमौ जगदम्बे !!३!!
!!टैर:-जिय गीगल अम्ब रूप जहदम्बे !
आवड़ रूप धरयौ तुम अक्कर हक्कर सौख महीख हतम्बे !
तैमड़ भक्कर मौखीय तैमड़ राइये तैमड़ नाम रहम्बे !!
ब्रवड़ रूप चढ़ारीये च्रवड़ न्रवड़ नौघण त्रपती निवम्बे !
एक ही रूप अनेक कळायळ गीगल अम्ब नमौ जगदम्बे !!४!!
!!टैर:-जिय गीगल अम्ब रूप जगदम्बे !
राजल राज नूँ काज सुधारण हारण मलेच्छ अनीत हुँयम्बे !
सैंणल रूप धरयौ सत धारण दढ़ी मुछारण मात दियम्बे !!
वँश ही छैदन ले विष धारण कँस प्रजारन मलेच्छ वरम्बे !
एक ही रूप अनेक कळायळ गीगल अम्ब नमौ जगदम्बे !!५!!
!!टैर:-जिय गीगल अम्ब रूप जगदम्बे !
करनल वालीय उज्जळ कीरती विश्व विचारीये विथरि अम्बे !
कान सँघारीये लौपत कारीये नौहथ धारीये रूप निजम्बे !!
चारण वँश उजाळिये चण्डीये धारीये आप विरद धुरम्बे !
एक ही रूप अनेक कळायळ गीगल अम्ब नमौ जगदम्बे !!६!!
!!टैर:-जिय गीगल अम्ब रूप जगदम्बे !
जौग घरै उतपनिये जौगनी वाह शगतीये रूप वरम्बे !
गीगल नॉम अदभुतिय गतीये काज उन्नतीये सिद्ध करम्बे !!
गवनीये मेछ करत गिनतीये जीतीये गौफीय सिद्ध जितम्बे !
एक ही रूप अनेक कळायळ गीगल अम्ब नमौ जगदम्बे !!७!!
!!टैर:-जिय गीगल अम्ब रूप जगदम्बे !
पावत तौरी प्रभुतीये पार न मतिये धारन तुच्छ मुजम्बे !
सत्त शगत्ति जगत्ति सुधारन शगत्ति बिनॉ सँसार नसम्बे !!
तूँ प्रतपारन सेवक तारन चारण 'चाळक' वन्दे चरनम्बे !
एक ही रूप अनेक कळायळ गीगल अम्ब नमौ जहदम्बे !!८!!
!!टैर:-जिय गीगल अम्ब रूप जगदम्बे !
-"सौरठा"-
जौगा घर जाईह ;
बधाइ बंटी बरण में !
गाढ़ी गीगाईह ;
बिरद थ्हारौ बीठवणी!!१
सॉपरत वरस सात ;
प्रवाड़ौ किधौ पहलो!
हद सिर देतॉ हाथ ;
बाघ थया जद बाछड़ा!!२
जौगाई जगदम्ब ;
गायॉ मलेच्छ न गिणिजी!
जौगाई जगगम्ब ;
नीसॉणी अजहूँ नवदे!!३
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