छन्द त्रिभंगी/ कवि स्व. भंवर दान जी झणकली

कश्मीर रो दूजो युध्द
दौहा
 
भ्रात लघु दुशमन भयौ, पाक हरौ परधान ।
हींमत राखौ हिंदिया, मात्र भुमि हित मान ।।1।।

लोक सभा ललकारीया, जाण प्रजा एक जुट ।
भूल गया सब भारती, फिरका वाली फूट ।।2।।

पंडत मुला पादरी, हमचे हुआ हैक।
ज्वाल भटी तल झौकिया, विलला वाद विमैक।।3।।

कछ भुजा कशमीर लौ, खाथा पङीया खान।
दशा वणी जो दाखवां, विध विध करै वखाण ।।4।।

       ""छन्द त्रिभंगी ""



धसगा कर दग्गा, महमुद मग्गा, थाग अथग्गा, थग थग्गा ।
बंबाङ बदग्गा, झग्गर झग्गा, डूंगर डिगा डग मगा ।।
दैवल दरग्गा, लूंटण लग्गा, गौम  सरग्गा गरजाला।।
हरवल हाथाला , हिमत वाला, भारत आला भुरजाला ||
जी हिन्दुस्तानी हाथाला...............1

आनी अभमानी दौ अखसानी, छौनी छौनी छब कानी ।
तुरका पख तांनी चीनी चानी,
अरबस्तानी ईरानी ।
संभीया सैनानी हिन्दुस्तानी, रीत पुरानी रखवाला ।
हरवल हाथाला , हिमत वाला, भारत आला भुरजाला ||
जी हिन्दुस्तानी हाथाला...............2

दुश्मन दरसाया, बिगुल बजाया, साज सवाया संभाया।
आडा फीर आया धीरज धाया,    जौ मिल पाया जरकाया ।
घमसाण घुराया व्यौम बजाया, मङद कहाया मूँछाळा।
हरवल हाथाला , हिमत वाला, भारत आला भुरजाला ||
जी हिन्दुस्तानी हाथाला...............3


भिङिया दल भारी बै बलकारी, फौज अपारी ललकारी ।
तौफा तटकारी बारी बारी, दाग दुधारी बंबारी।
जुङिया जुझारी जय जयकारी, मा रण धारी मतवाळा ।।
हरवल हाथाला , हिमत वाला, भारत आला भुरजाला ||
जी हिन्दुस्तानी हाथाला...............4


कैहर कङकङीया बर्की बङीया, गाम गढङीया गङगङिया।
लाहौर लङथङिया जळ झूंपङिया, खान खथङीया खङखङीया ।
जेटा झङ फङिया अम्बर अङीया, चङीया घूंसण चकलाला ।।
हरवल हाथाला , हिमत वाला, भारत आला भुरजाला ||
जी हिन्दुस्तानी हाथाला...............5


चहुं दिश चल चलीया, खान खथङीया, कांठै वाळा कल कलिया ।
जाबक जल फळिया थळवट थळीयां, त्रास पंजाबी तल तलीया ।
संधा सळ वळिया चल हूचलिया, मांटी मिळिया पग पाला ।।
हरवल हाथाला , हिमत वाला, भारत आला भुरजाला ||
जी हिन्दुस्तानी हाथाला...............6

गिङक्या रण गाडा पैटन पाडा, जरक्या जाडा बजूका ।
भङक्या तज भाडा दङक्या डाडा, खङक्या खांडा खजूका ।
सर गौधा अङीया सैबर सङीया, पङीया जौधारां पाला ।।
हरवल हाथाला , हिमत वाला, भारत आला भुरजाला ||
जी हिन्दुस्तानी हाथाला...............7

सुरगंन समंकर जग जयंकरसंग भयंकर हर शंकर ।
वारंग पुरंदर मैघ अडम्बर, पीर पैगम्बर कर पंगर ।
जैता कर जंमर सूता संमरसमर भमर सरघाला ।।
हरवल हाथाला , हिमत वाला, भारत आला भुरजाला ||
जी हिन्दुस्तानी हाथाला...............8

         दौहा छप्पय

जुध जुङिया जबरीस, प्रथम सितंबर पैसठै ।
अङिया दिन ईक्वीस, हारै बिना कुण हटै।
हिंदियां सात हजार, पाकिस्तानी पाङीया ।
जैट अभै सत झाङ, पांच सौ टैक पछाङिया ।
तुरकांण तबल तूटण लग्गौ, भग्गौ भुट्टौ वग्गौ भयौ ।
सुण हाल सकल सही, कवि भंवर सच्चौ कयौ ।


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