कालूसिंह गंगासरा
॥इतिहास हमारा है उजियारा ।।
॥ सोरठा ॥
अजर अमर इतिहास,पुनि पावन कुल परम्परा।
वो जीवन विख्यात,जग में "काळू"जोयलो॥
॥ छंद : - त्रिभंगी ॥
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ईसर मन भाया जगत रचाया जीव उपाया कर माया।
राजन बन आया मनुज कहाया नर तन पाया सुख छाया।
नीती धर्म लाया राज चलाया नाम कमाया निरधारा।
इतिहास हमारा है उजियारा जानत सारा संसारा॥1
सतरूपा नारी मनु वर धारी सृष्टी सारी विस्तारी।
वर्णाश्रम चारी किये विचारी है सुखकारी संस्कारी।
सब अत्याचारी दिये विडारी भय हद भारी हरनारा।
इतिहास हमारा है उजियारा जानत सारा संसारा॥2
कई अजब नजारा दिखा अपारा जगत पसारा विस्तारा।
जीवन अवतारा ऐसा न्यारा चित्त हरनारा आचारा।
सद् गुण सजनारा ईश आधारा रजपूती रा व्यवहारा।
इतिहास हमारा है उजियारा जानत सारा संसारा॥3
आदि जुग ऐवा जप तप सेवा ध्यान धरेवा सुधरेवा।
सद्कर्म करेवा सत् उच्चरेवा न्याय सजेवा निर्भेवा।
सुर पंथ चलेवा दिनकर जेवा मरद रहेवा मजधारा।
इतिहास हमारा है उजियारा जानत सारा संसारा॥4
मर्यादा धारी पर उपकारी सदा आहारी शाकारी।
हरदम होशियारी अरि पर भारी करत संहारी असुरारी।
दीनन दुःखहारी प्रजा प्यारी औ रखवारी करनारा।
इतिहास हमारा है उजियारा जानत सारा संसारा॥5
आवे शरणागत कौ अभ्यागत जो वर मांगत नहीं त्यागत।
आतम बल जागत भट्ट नहीं भागत घाव'ज लागत मरणागत।
पावै जो सद् गत मिळे दैवगत कबहुँ न दुर्गत पानारा।
इतिहास हमारा है उजियारा जानत सारा संसारा॥6
कुल रीती भावे वचन निभावे हर रीझावे हरखावे।
सत्तकर्म कमावे नहीं ललचावे मांग न खावे मरजावे।
भुजबल अपनावे दुष्ट दबावे दत बरसावे दातारा।
इतिहास हमारा है उजियारा जानत सारा संसारा॥7
दुनिया क्या जाने नहीं पिछाने वो अज्ञाने अनजाने।
रजपूत घराने आन निभाने कई मरदाने मैदाने।
केशरिया बाने शीश कटाने लहुलुहाने लड़नारा।
इतिहास हमारा है उजियारा जानत सारा संसारा॥8
अवसर फिर आना हो घमसाना शान बचाना समझाना।
अद्भुत स्नाना जौहर ठाना देह जलाना मर जाना।
नहीं लाज गमाना सती कहाना करत बखाना किरतारा।
इतिहास हमारा है उजियारा जानत सारा संसारा॥9
कुलवान खरे खर औ अजरामर भले जनम धर समर चड़े।
गुण ऐवा धर पर है न अवर घर जुओ नजर कर खबर पड़े।
कवि "काळू" सो नर सत्य कर्म कर आखिर ईसर भजनारा।
ईतिहास हमारा है उजियारा जानत सारा संसारा॥10
Bahut aacha sahitya prem ke liya ham aabhari hai
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