छंद गीतक/ कवि स्व. श्री शम्भुदान गाडण

कवि स्व. श्री शम्भुदान गाडण  







 
तत मोय दाखे , सच्च भाखे , देख लागे दे तो 
घट बीच राखे , देह सागे , भाव राखे भावतो
उर जाण वाके , ध्यान दाखे , मौन राखे मानवा
तत ज्ञान ताकत तोल हाकल बोल निर्भय बंदवा ||

आकाश वायु तेज उदकर , और अचला आखवे 
पच्चीस परगत , माँय हरकत , मान डर मत भूलते 
एक तत मोह पांच पाई प्रगत भाई साधवा
तत ज्ञान ताकत तोल हाकल बोल निर्भय बंदवा ||

आकाश आशा शीश वासा , देख दासा होय के 
पल दस पासा , तीस श्वांसा , पलट पासा पोंच के 
शोक काम क्रोधा , मोह बोधा , और भय उर भासवा
तत ज्ञान ताकत तोल हाकल बोल निर्भय बंदवा ||

बसे वास नाभि , वाय विस पल , सांठा श्वांसा साजते 
प्ररसार धावन वलन , चल कल , सूक जाणा साजते 
ईम तत आंसू पांच भाखूं प्रगत वाकूं वायवा 
तत ज्ञान ताकत तोल हाकल बोल निर्भय बंदवा ||

तत तेज तीका , वास पीता , सांठ श्वांस वे 
दस वीख वीसा , पाल दीसा , पांच परगत पास वे 
नीन्द त्रसना कान्ति , आलसाना और खुदिया आखवा
तत ज्ञान ताकत तोल हाकल बोल निर्भय बंदवा ||

उद तत आया भाल भाया , संत वीसी श्वांस वे
दस वीख तीसा , पाल दीसा , पांच परगत पास वे 
एफ श्वेत सूत्र मूत्र मांही और रगतों आखा 
तत ज्ञान ताकत तोल हाकल बोल निर्भय बंदवा ||

तत धरण यां में , कालजा में , श्वांस या में डेढ़ सौ 
पल पचा पा में , पलट वा में , प्रगत या में पेख जो 
रोम त्वचा नाडी हाड यामे , मांस वागतो मेलवा 
तत ज्ञान ताकत तोल हाकल बोल निर्भय बंदवा ||

तत पोंच की तन माँय ताकत , शोध शाधक संग है 
तुच्छ बुध्ध तायो भेद पायो , शोध कीनो जंग है 
कवि कथियो शब्द मथियो करके जाणवा 
तत ज्ञान ताकत तोल हाकल बोल निर्भय बंदवा ||

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें