छंद त्रिभंगी / शम्भुदान चारण

शम्भुदान चारण


साजै मन सुरा निरगुन नुरा जोग जरूरा भरपूरा ,
दीसे नहि दूरा हरी हजुरा परख्या पूरा घट मूरा
जो मिले मजूरा एष्ट सबूरा दुःख हो दूरा मोजीशा
आतम तत आशा जोग जुलासा श्वांस ऊसासा सुखवासा || ||

सुमिरण के संगा दरद न दंगा चित हो यंग रंग रंगा
प्राते लै पंगा ब्रह्म सभंगा जाप जपंगा सूद अंगा 
ऐसे सत संगा गुरु के संगा , नित की गंगा हो पासा 
आतम तत आशा जोग जुलासा श्वांस ऊसासा सुखवासा || ||

अदभुद ईद्कई परगट पाई सुमिरण भाई भज सांई
निर्मय नित गाई भजले भाई लगन लगे मन मांही 
मम आनंद माहि मोज मनाई सत गुरु सांई दे वासा
आतम तत आशा जोग जुलासा श्वांस ऊसासा सुखवासा || ||

बोलै गुरु बाणी परगट प्राणी हॉट न हनी जुग जानी
निर्मल निर्वाणी सदा सुजाणी परम पिछोणी चित छोणी
दिल दया दिखणी सदा सुहाणी अर्थ अखोणी सत वासा 
आतम तत आशा जोग जुलासा श्वांस ऊसासा सुखवासा || ||

अणगड़ अणनामी ओतन गामी होड़ नाठामी निसकामी
ऐसा गण नामा समर्थ स्वामी भज अठायामी नित नामी 
सबके है स्वामी अंतर यामी आंठुयामी है पासा 
आतम तत आशा जोग जुलासा श्वांस ऊसासा सुखवासा || ||

एक ही भूत आत मान महांत पद परमातं जिवातं
पुरद पद पातं सद्गति सातं भजते आतं सुख सातं 
दीनन के नातं सबके सातं भेद की गत घट आशा 
आतम तत आशा जोग जुलासा श्वांस ऊसासा सुखवासा || ||

मानव तन दीनी कृपा कीनी हरी सुण सुखकीनी
माता पितु मानी सेव सुहानी पोषण पामी हीतू जानी 
बोधा गुरु बाणी स्वेम सुहानी सिंम्भ बखानी नीज आशा 
आतम तत आशा जोग जुलासा श्वांस ऊसासा सुखवासा || ||


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